गिरिडीह के घोड़थंबा में होली के दिन साम्प्रदायिक झड़प: पत्थरबाजी और आगजनी से माहौल तनावपूर्ण
झारखंड के गिरिडीह जिले के घोड़थंबा क्षेत्र में इस वर्ष होली का त्योहार सांप्रदायिक झड़प की चपेट में आ गया। होली का उत्सव जो खुशियों, मेलजोल और आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है, इस बार हिंसा और तनाव की चपेट में आ गया। हिंदू समुदाय द्वारा निकाली गई परंपरागत होली जुलूस के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ विवाद हो गया, जो देखते ही देखते हिंसक झड़प में बदल गया। इस झड़प में जमकर पत्थरबाजी हुई और कई दुकानों में आग लगा दी गई। इतना ही नहीं, पेट्रोल बम तक फेंके गए, जिससे पूरे इलाके में दहशत फैल गई।
घटना का प्रारंभ: होली जुलूस और आपत्ति
घटना 14 मार्च 2025 को घोड़थंबा के मियां गली इलाके में घटी। प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी हिंदू समुदाय के लोग रंगों से सराबोर होकर, डीजे के साथ टोली बनाकर परंपरागत जुलूस निकाल रहे थे। होली की धुनों पर थिरकते और रंग खेलते ये लोग मियां गली से गुजर रहे थे, जहां एक मस्जिद स्थित है।
रिपोर्ट के अनुसार, जैसे ही जुलूस मस्जिद के पास पहुंचा, मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने आपत्ति जताई। उनका कहना था कि मस्जिद के सामने रंग-अबीर उड़ाना उचित नहीं है और इसे रोकना चाहिए। लेकिन जुलूस में शामिल लोगों ने इसका विरोध किया और रंग खेलना जारी रखा। इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में कहासुनी हो गई, और धीरे-धीरे विवाद बढ़ता चला गया।
पत्थरबाजी की शुरुआत और हिंसा में तब्दील होता माहौल
कहासुनी के बाद मामला गर्माने लगा और जल्द ही यह झड़प पत्थरबाजी में बदल गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मस्जिद के भीतर पहले से ही पत्थर और कांच जमा करके रखे गए थे, जिससे संदेह पैदा होता है कि यह सब पहले से ही योजनाबद्ध था। वहीं, दूसरी ओर, जुलूस में शामिल कुछ लोगों ने भी जवाबी कार्रवाई में पत्थर फेंकने शुरू कर दिए।
लगभग ढाई घंटे तक दोनों पक्षों के बीच जमकर पत्थरबाजी होती रही। इलाके में अफरा-तफरी मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे, और कुछ दुकानदार अपनी दुकानें बंद करके घरों की ओर भागे। हालात बिगड़ते चले गए, और देखते ही देखते हिंसा और अधिक बढ़ गई।
पेट्रोल बम और आगजनी: हिंसा ने लिया खतरनाक रूप
जब हालात काबू से बाहर होने लगे, तो कुछ लोगों ने बोतलों में पेट्रोल भरकर पेट्रोल बम बना लिए और उन्हें फेंकना शुरू कर दिया। इस हमले में कई दुकानें जलकर राख हो गईं। खासतौर पर मस्जिद के पास की फल और किराने की दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि एक बार आग लगने के बाद स्थिति और भयावह हो गई। आग की लपटें दूर-दूर तक दिखने लगीं, और पूरा बाजार धुएं से भर गया।
इस हिंसा में न केवल दुकानें जलीं, बल्कि कई वाहन भी आग के हवाले कर दिए गए। रिपोर्ट्स के अनुसार, कम से कम पाँच दोपहिया वाहन और एक चारपहिया वाहन पूरी तरह से जलकर खाक हो गए।
पुलिस की निष्क्रियता पर उठे सवाल
घटनास्थल से मात्र सौ मीटर की दूरी पर स्थानीय पुलिस चौकी (ओ.पी.) स्थित थी। बावजूद इसके, पुलिस प्रशासन शुरुआती घंटों में निष्क्रिय नजर आया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, स्थानीय लोग बार-बार पुलिस से हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे थे, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही। जब स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गई और आगजनी होने लगी, तब जाकर अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया।
हिंसा को रोकने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले दागने पड़े। देर रात तक पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत नुकसान हो चुका था।
घटना के बाद घोड़थंबा में सन्नाटा, दहशत का माहौल
अगले दिन घोड़थंबा बाजार की सड़कें पूरी तरह सुनसान थीं। दुकानदारों ने अपनी दुकानें नहीं खोलीं, और आम लोग घरों से बाहर निकलने में डर रहे थे। इलाके में चारों ओर तनाव का माहौल था।
पुलिस और प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जली हुई दुकानों और वाहनों के मलबे को हटाना शुरू कर दिया। इस दौरान पूरे इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया ताकि दोबारा कोई अप्रिय घटना न हो।
घायल और संपत्ति का नुकसान
इस हिंसा में कई लोग घायल हुए, कुछ लोगों के सिर में गंभीर चोटें आईं, तो कुछ के हाथ टूट गए। अस्पतालों में घायलों का इलाज चल रहा है।
इसके अलावा, लाखों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ। जली हुई दुकानों और वाहनों के मालिकों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा।
प्रशासन की कार्रवाई और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना के बाद प्रशासन पर भी सवाल उठने लगे हैं। विपक्षी दलों ने पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए और मांग की कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए।
मुख्यमंत्री ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है।
निष्कर्ष
गिरिडीह के घोड़थंबा में हुआ यह सांप्रदायिक टकराव यह दर्शाता है कि आज भी समाज में धर्म के नाम पर कितनी असहिष्णुता बनी हुई है। होली, जो प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है, उसे हिंसा में बदलते देखना दुखद है। इस घटना ने न केवल लोगों की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है।
अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस घटना से क्या सबक लेता है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं। वहीं, आम जनता से भी अपील की जाती है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति बनाए रखें।